Wednesday, 9 June 2021

अर्च विग्रह सेवा

भगवान् का रूप होता है | भगवान्, भगवान् के नाम और भगवान् के रूप मैं कोई भेद नहीं होता | भगवान् के अर्च विग्रह सेवा लेने के लिए होते हैं | हम पोस्ट बॉक्स के उदहारण द्वारा समझ सकते हैं, यदि हम सही पोस्ट बॉक्स मैं पात्र डालें तो वह उसके निर्धारित स्थान पर पहुँच जाता है | लेकिन किसी भी बॉक्स मैं पात्र डालने से नहीं पहुंचेगा हमें सही या गलत की पहिचान होनी चाहिए | इसी प्रकार अर्च विग्रह सेवा करने से हमारे सेवा भगवान् तक पहुँच जाती है |

जैसे बच्चे की सेवा करने से माँ और पिता का बच्चे के प्रति प्रेम प्रगाढ़ होता है, या बुढ़ापे मैं बच्चे जब माँ या पिता की सेवा करते हैं उनका प्रेम प्रगाढ़ होता है उसी प्रकार भगवन के अर्च विग्रह की सेवा करने के हमारा भगवान् के प्रति प्रेम प्रगाढ़ होता है | 

हमारा मन भगवान् के चरणों मैं केन्द्रित करना हम लक्ष्य है| भगवान् इतने दयालु हैं  की सेवा लेने केलिए अर्च विग्रह मैं भी प्रकट हो जाते हैं | 

भक्ति के ५ अंग -

साधू संग 

नाम कीर्तन

मथुरावास

भगवत श्रवण 

श्रीमूर्ति सेवा 

भक्ति रसामृत सिन्धु मैं भक्ति के ६४ अंगों का वर्णन मिलता है लेकिन उपरोक्त ५ अंग प्रमुख हैं | भगवद्गीता ४.२४ मैं भगवान् कहते हैं

ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम्। ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्मसमाधिना।।4.24।। जो व्यक्ति कृष्ण भावनामृत मैं पूर्णतया लीन रहता है उसे अपने अध्यात्मिक कर्मों के योगदान के द्वारा अवश्य ही भगवद्धाम की प्राप्ति होती है, क्योंकि उसमें हवन भी अध्यात्मिक और हवि  भी अध्यात्मिक होती है |

कहने का तात्पर्य है की यदि हम भोग लगाकर खाएं तो वह प्रसाद हो जाता है, उससे अध्यात्मिक गुणों का विकास होता है और हम शुद्ध होते हैं | व्यवहारिक रूप से जितना समय भगवान् को दे सकते हैं उतना देना चाहिए | 

मंदिर मैं भगवान् केंद्र मैं होते है सब कुछ समय पर होता है लेकिन घर मैं थोड़ी flexibility हो सकती है परिकर की आवश्यकताओं पर निर्भर करता है |

अर्च विग्रह कैसे हों ?

भागवतम ११.२७ मैं ८ प्रकार के अर्च विग्रह की सेवा बताई गई है और इसमें चित्र भी है | जरूरी नहीं की मूर्ति ही हो आप भगवान् के चित्र का प्रयोग भी सेवा के लिए कर सकते हैं 

प्रभुपाद ने भागवतम २.३.२२ के तात्पर्य मैं बताया है कि राधा कृष्ण, गौर निताई, मत्स्य, बलराम, शालिग्राम शिला इत्यादि की सेवा कर सकते हैं |

कितना समय लगाना चाहिए ?

घर मैं भगवान् की सेवा परिवार की ऊपर निर्भर करता है कि कितने सदस्य हैं और कौन कौन शामिल होना चाहता है उनका schedule क्या है इन सबका प्रभाव पड़ता है, कोई सुबह कर सकता तो किसी के पास शाम को समय है उसी के अनुसार सबकी सेवा निर्धारित कर देनी चाहिए | 

क्या ब्राह्मण होना आवश्यक है ?

घर मैं भगवान् की सेवा करने के लिए ब्राह्मण होना आवश्यक नहीं है लेकिन शालिग्राम की पूजा करने के लिए ब्राह्मण दीक्षा जरूरी है |

क्या बच्चों को भगवान् की सेवा मैं लगा सकते हैं ?

बच्चों को भगवान् की सेवा मैं लगाकर संस्कारी वातावरण प्रदान कर सकते हैं छोटे बच्चों को सेवा मैं लगाने के लिए - साफ़ सफाई, तुलसी चुनना, माला बनाना, वस्तुएं इकठ्ठा करना इत्यादि जैसे कामों मैं लगा सकते हैं | १० बर्ष से कम उम्र के बच्चों को सहायक के रूप मैं और ऊपर के बच्चों को आरती इत्यादि सिखा सकते हैं, क्योंकि छोटे बच्चे मैं शायद विग्रह के प्रति आदर न हो |

भगवान् के सामने कीर्तन रोज होना चाहिए |  हरे कृष्ण कीर्तन से भगवान् प्रसन्न होते है और कीर्तन कोई भी कर सकता है | हम कोई व्यावसायिक संगीतकार नहीं है लेकिन भावपूर्ण कीर्तन हमें रोज करना चाहिए | 

भगवान् के सेवा मैं खर्चा ?

भगवान् के सेवा मैं खर्चा आप अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार सेट कर सकते हैं, इसके अलावा देश, काल, पात्र के अनुसार परिवर्तित हो सकता है यदि आपकी हैसियत है तो रोज ५६ वस्तुओं का भोग लगा सकते हैं और यदि आपकी सामर्थ्य नहीं है तो भगवान् भगवद गीता मैं कहते हैं -

पत्रं पुष्पं फलं तोयं,...................... 

अर्थात फल फूल पत्ता पानी भी मैं स्वीकार करता हूँ| आप मौसम के फल, उपलब्ध फूल, साफ़ पीने का पानी आप तुलसी पत्र के साथ अर्पित करें तो भगवन सहर्ष स्वीकार करते हैं | 

भगवान् के सेवा हम क्यों करना चाहते हैं ?

कुछ लोग दूसरों को दिखाने  के लिए भगवान् की  सेवा करते हैं या किसी अन्य के यहाँ भगवान् की सेवा देख ली तो हम भी ऐसे ही करेंगे ये सोचकर करते हैं| भगवान्  के मंदिर की डेकोरेशन देखो हमने कितनी अच्छे से की है, ये सब दिखावे के लिए नहीं करना चाहिए | ऐसा नहीं है की दिखावे का फल नहीं मिलता है चाहे आप दिखावे के लिए करें, फल आपको अवश्य प्राप्त होगा लेकिन आप भगवान् के  सेवा भक्तों से प्रेरित होकर या शास्त्रों को पढ़कर प्रेरित होकर श्रद्धा पूर्वक सेवा करते हैं तो भगवान् आपकी जल्दी और पूर्णतया ग्रहण करते हैं |

घर से बाहर जाना हो तो क्या करें ?

यदि आप कुछ दिनों के लिए घर से बाहर जा रहे हैं तो भगवान् की सेवा का क्या करें ये प्रश्न कई भक्त पूछते हैं, यदि विग्रह छोटे हैं तो आप उनको साथ लेकर जा सकते हैं या उनको सुला कर जा सकते हैं या मित्र भक्त के विग्रह पीछे रख दीजिये तो उनके द्वारा भी सेवा ग्रहण करते हैं |