हरे कृष्ण,
यदि धर्म के बारे मैं जानना चाहते हैं शास्त्र अवश्य पढ़ने चाहिए लेकिन प्रश्न ये है की कौन सा शास्त्र पढ़ें और कहाँ के शुरुआत करें क्योंकि हिन्दुओं मैं काफी confusion हैं तो आज हम शास्त्रों के सम्बन्ध मैं संक्षिप्त चर्चा करते हैं -
ये सनातन धर्म के प्रधान शास्त्र हैं और इनके आधार पर जो पुस्तकें लिखी गई हैं वो भी शास्त्र की श्रेणी मैं ही आती हैं ।
वेदों मैं क्या है ?
वेद शब्द विद धातु से आया है जिसका अर्थ है जानना अर्थात ज्ञान विज्ञानं, वेदों मैं विज्ञान है उसमें physics, chemistry, dance, music, medical science, jyotish, etc. सभी ज्ञान है । आप बाजार से खरीद कर वेद नहीं पढ़ सकते क्योंकि उनको पढने का एक तरीका होता है । जैसे आप घर बैठे हाई स्कूल या इंटरमीडिएट की पढ़ाई नहीं कर सकते आपको किसी स्कूल मैं जाकर प्रवेश लेना होगा जो किसी बोर्ड या यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त हो । उसी प्रकार वेद पढ़ने के लिए पहले आपको १२ बर्ष व्याकरण पढनी होगी अन्यथा आप आप समझ नहीं सकते । व्याकरण पढने के बाद आपको धर्म शास्त्र पढ़ने होंगे जिनकी संख्या २० है उसमें ६-८ बर्ष लगेंगे तब आप वेद पढना शुरू करेंगे और एक वेद पढने के लिए आपको कम से कम १२ बर्ष का समय लगेगा तो आप सोच सकते हैं चारों वेद पढने के लिए कितना समय लगेगा । आपको ६ बर्ष की उम्र से शुरू करना होगा, पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना होगा और योग्य गुरु की आवश्यकता होगी । क्योंकि आप वेद सीधे सीधे नहीं समझ सकते क्योंकि वो coded language मैं होते हैं जैसे गणित के सूत्र जब तक कोई आपको समझाएगा नहीं वो समझ मैं ही नहीं आयेंगे ।
क्योंकि वेदों की भाषा गूढ़ है इसलिए उनकी व्याख्या करने के लिए उपनिषद लिखे गए जिनकी संख्या लगभग २५० है । और एक आम आदमी उपनिषद भी नहीं समझ सकता तो उनकी व्याख्या पुराणों मैं गई है । पुराणों मैं उदाहरण सहित व्याख्या है जिसको आप समझ सकते हैं लेकिन पुराण भी १८ हैं और उनमें कई कई हजार श्लोक होते हैं। भागवत पुराण मैं ही ५०,००० श्लोक हैं । आज हमारे पास कहाँ इतना समय है की इतना सब पढ़ें वो भी आज मोबाइल, कंप्यूटर और टीवी के ज़माने मैं हमें तो कोई बता दे तो हम मान लेते हैं अपना ज्ञान whats app और Facebook पर फॉरवर्ड करते हैं फॉरवर्ड करने से पहले उसे पढ़ते भी नहीं है और न ही उसकी जांच करते हैं की ये घटना सत्य या असत्य । तो क्या करें ? एक उपाय है भगवत गीता पढ़ें उसमें मात्र ७०० श्लोक हैं यदि १ श्लोक प्रतिदिन के हिसाब से पढ़ें तो लगभग २ बर्ष मैं पूरा पढ़ सकते हैं ।
सर्वोपनिषदो गावो दोग्धा गोपलनंदन: ।
पार्थो वत्स: सुधिर्भोक्ता:दुग्ध गीतामृतं महत ।।
अर्थात यह भगवत गीता सभी उपनिषदों का सार है, जो गाय के तुल्य है, और ग्वालबाल के रूप मैं विख्यात भगवान् कृष्ण इस गाय को दुह रहे हैं । अर्जुन बछड़े के सामान हैं, और सारे विद्वान् तथा शुद्ध भक्त भगवतगीता के अमृतमय दूध का पान करने वाले हैं
एकं शाश्त्रमदेवकीपुत्रगीतम्
एको देवो देवकीपुत्रएव ।
एको मंत्रस्तस्य नमानी यानि
कर्माप्येकंतस्य देवस्य सेवा ।।
आज के युग मैं लोग एक शास्त्र, एक ईश्वर, एक धर्म, तथा वृत्ति के लिए अत्यंत उत्सुक हैं अत: एकं शाश्त्रमदेवकीपुत्रगीतम् एक ही शास्त्र भगवत गीता हो जो सारे विश्व के लिए हो । एको देवो देवकीपुत्रएव सारे संसार के लिए एक भगवान् हो श्री कृष्ण, एको मंत्रस्तस्य नमानी यानि,एक ही प्रार्थना हो - उनके नाम का कीर्तन - हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।। कर्माप्येकंतस्य देवस्य सेवा-और केवल एक ही कार्य हो - भगवान् के सेवा ।
गीता सुगीता कर्तव्या किमन्येशास्त्रविस्तरे: ।
यास्वयम पद्मनाभस्य मुख पद्माविदीन: सृता ।।
क्योंकि भगवद्गीता भगवान् के मुख से निकली है, अतएव किसी को अन्य वैदिक साहित्य पढ़ने ही आवश्यकता नहीं हैं । वर्तमान युग मैं लोग इतने व्यस्त हैं ही अन्य वैदिक साहित्य पढ़ने का समय ही नहीं है इसलिए भगवत गीता पढ़ने मात्र से सारी आवश्यकता पूरी हो जाती हैं ।
गीता-गंगोदकम पीत्वा पुनर्जन्म नि विद्यते ।
जो गंगाजल पीता है उसे मुक्ति मिलती है अत: उसे क्या कहा जाए जो भगवत गीता का अमृत पान करता है? भगवत गीता महाभारत का अमृत है इसे भगवान् कृष्ण ने स्वयं सुनाया है । गंगा भगवान् के चरणों से निकली है और गीता श्री भगवान् के श्रीमुख से निकली है । निस्संदेह भगवान् के मुख और चरणों मैं कोई अंतर नहीं होता लेकिन निष्पक्ष अध्ययन हम पाएंगे की भगवद्गीता गंगाजल से अधिक महत्वपूर्ण है ।
कुछ लोग रामायण तो पढ़ते हैं लेकिन गीता नहीं पढ़ते, क्योंकि उनका सोचना है की गीता पढ़ने से वैराग्य की उत्पत्ति होती है और वो घर संसार त्याग देगा इसलिए कुछ माता पिता अपने बच्चों को गीता पढ़ने के लिए प्रोत्साहित नहीं करते तो इसका सीधा सा उत्तर है की गीता सुनने के बाद अर्जुन ने कहाँ सन्यास लिया उसने युद्ध किया और राजपाट का भोग भी किया । जब दोनों ओर सेनायें युद्ध के लिए तैयार खड़ी थीं तब भगवान् ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया इस से अधिक क्या emergency हो सकती थी ? अत: आप इस समय emergency मैं हैं और भगवत गीता को आज और अभी से पढ़ना शुरू करें इस से अच्छा मौका कभी नहीं आएगा । मुझे पूर्ण विश्वास है आप भी कोरोना रुपी युद्ध मैं विजयी होंगे और अर्जुन की भांति राजपाट भोगेंगे।
आज कई top class motivator भगवत गीता को आधार बनाकर बड़ी बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी के कर्मचारियों को motivate करते है और लाखों नहीं करोड़ों कमाते हैं जैसे विवेक बिंद्रा, गौर गोपाल दास इत्यादी । महात्मागांधी ने भी कई बार भगवत गीता पढ़ी थी और उसके ऊपर अपनी ओर से टीका भी लिखी थी । तो आइये शुरू करें । यदि आपके पास गीता नहीं है तो मुझे मेसेज करें मैं आपको PDF फॉर्मेट मैं भेज दूंगा ।
हरे कृष्ण
अवधेश पराशर
मोबाइल- 9359502179
यदि धर्म के बारे मैं जानना चाहते हैं शास्त्र अवश्य पढ़ने चाहिए लेकिन प्रश्न ये है की कौन सा शास्त्र पढ़ें और कहाँ के शुरुआत करें क्योंकि हिन्दुओं मैं काफी confusion हैं तो आज हम शास्त्रों के सम्बन्ध मैं संक्षिप्त चर्चा करते हैं -
- ऋग्वेद
- यजुर्वेद
- सामवेद
- अथर्व वेद
- २५० उपनिषद
- २० धर्मशास्त्र
- १८ पुराण
- रामायण
- महाभारत
ये सनातन धर्म के प्रधान शास्त्र हैं और इनके आधार पर जो पुस्तकें लिखी गई हैं वो भी शास्त्र की श्रेणी मैं ही आती हैं ।
वेदों मैं क्या है ?
वेद शब्द विद धातु से आया है जिसका अर्थ है जानना अर्थात ज्ञान विज्ञानं, वेदों मैं विज्ञान है उसमें physics, chemistry, dance, music, medical science, jyotish, etc. सभी ज्ञान है । आप बाजार से खरीद कर वेद नहीं पढ़ सकते क्योंकि उनको पढने का एक तरीका होता है । जैसे आप घर बैठे हाई स्कूल या इंटरमीडिएट की पढ़ाई नहीं कर सकते आपको किसी स्कूल मैं जाकर प्रवेश लेना होगा जो किसी बोर्ड या यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त हो । उसी प्रकार वेद पढ़ने के लिए पहले आपको १२ बर्ष व्याकरण पढनी होगी अन्यथा आप आप समझ नहीं सकते । व्याकरण पढने के बाद आपको धर्म शास्त्र पढ़ने होंगे जिनकी संख्या २० है उसमें ६-८ बर्ष लगेंगे तब आप वेद पढना शुरू करेंगे और एक वेद पढने के लिए आपको कम से कम १२ बर्ष का समय लगेगा तो आप सोच सकते हैं चारों वेद पढने के लिए कितना समय लगेगा । आपको ६ बर्ष की उम्र से शुरू करना होगा, पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना होगा और योग्य गुरु की आवश्यकता होगी । क्योंकि आप वेद सीधे सीधे नहीं समझ सकते क्योंकि वो coded language मैं होते हैं जैसे गणित के सूत्र जब तक कोई आपको समझाएगा नहीं वो समझ मैं ही नहीं आयेंगे ।
क्योंकि वेदों की भाषा गूढ़ है इसलिए उनकी व्याख्या करने के लिए उपनिषद लिखे गए जिनकी संख्या लगभग २५० है । और एक आम आदमी उपनिषद भी नहीं समझ सकता तो उनकी व्याख्या पुराणों मैं गई है । पुराणों मैं उदाहरण सहित व्याख्या है जिसको आप समझ सकते हैं लेकिन पुराण भी १८ हैं और उनमें कई कई हजार श्लोक होते हैं। भागवत पुराण मैं ही ५०,००० श्लोक हैं । आज हमारे पास कहाँ इतना समय है की इतना सब पढ़ें वो भी आज मोबाइल, कंप्यूटर और टीवी के ज़माने मैं हमें तो कोई बता दे तो हम मान लेते हैं अपना ज्ञान whats app और Facebook पर फॉरवर्ड करते हैं फॉरवर्ड करने से पहले उसे पढ़ते भी नहीं है और न ही उसकी जांच करते हैं की ये घटना सत्य या असत्य । तो क्या करें ? एक उपाय है भगवत गीता पढ़ें उसमें मात्र ७०० श्लोक हैं यदि १ श्लोक प्रतिदिन के हिसाब से पढ़ें तो लगभग २ बर्ष मैं पूरा पढ़ सकते हैं ।
सर्वोपनिषदो गावो दोग्धा गोपलनंदन: ।
पार्थो वत्स: सुधिर्भोक्ता:दुग्ध गीतामृतं महत ।।
अर्थात यह भगवत गीता सभी उपनिषदों का सार है, जो गाय के तुल्य है, और ग्वालबाल के रूप मैं विख्यात भगवान् कृष्ण इस गाय को दुह रहे हैं । अर्जुन बछड़े के सामान हैं, और सारे विद्वान् तथा शुद्ध भक्त भगवतगीता के अमृतमय दूध का पान करने वाले हैं
एकं शाश्त्रमदेवकीपुत्रगीतम्
एको देवो देवकीपुत्रएव ।
एको मंत्रस्तस्य नमानी यानि
कर्माप्येकंतस्य देवस्य सेवा ।।
आज के युग मैं लोग एक शास्त्र, एक ईश्वर, एक धर्म, तथा वृत्ति के लिए अत्यंत उत्सुक हैं अत: एकं शाश्त्रमदेवकीपुत्रगीतम् एक ही शास्त्र भगवत गीता हो जो सारे विश्व के लिए हो । एको देवो देवकीपुत्रएव सारे संसार के लिए एक भगवान् हो श्री कृष्ण, एको मंत्रस्तस्य नमानी यानि,एक ही प्रार्थना हो - उनके नाम का कीर्तन - हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।। कर्माप्येकंतस्य देवस्य सेवा-और केवल एक ही कार्य हो - भगवान् के सेवा ।
गीता सुगीता कर्तव्या किमन्येशास्त्रविस्तरे: ।
यास्वयम पद्मनाभस्य मुख पद्माविदीन: सृता ।।
क्योंकि भगवद्गीता भगवान् के मुख से निकली है, अतएव किसी को अन्य वैदिक साहित्य पढ़ने ही आवश्यकता नहीं हैं । वर्तमान युग मैं लोग इतने व्यस्त हैं ही अन्य वैदिक साहित्य पढ़ने का समय ही नहीं है इसलिए भगवत गीता पढ़ने मात्र से सारी आवश्यकता पूरी हो जाती हैं ।
गीता-गंगोदकम पीत्वा पुनर्जन्म नि विद्यते ।
जो गंगाजल पीता है उसे मुक्ति मिलती है अत: उसे क्या कहा जाए जो भगवत गीता का अमृत पान करता है? भगवत गीता महाभारत का अमृत है इसे भगवान् कृष्ण ने स्वयं सुनाया है । गंगा भगवान् के चरणों से निकली है और गीता श्री भगवान् के श्रीमुख से निकली है । निस्संदेह भगवान् के मुख और चरणों मैं कोई अंतर नहीं होता लेकिन निष्पक्ष अध्ययन हम पाएंगे की भगवद्गीता गंगाजल से अधिक महत्वपूर्ण है ।
कुछ लोग रामायण तो पढ़ते हैं लेकिन गीता नहीं पढ़ते, क्योंकि उनका सोचना है की गीता पढ़ने से वैराग्य की उत्पत्ति होती है और वो घर संसार त्याग देगा इसलिए कुछ माता पिता अपने बच्चों को गीता पढ़ने के लिए प्रोत्साहित नहीं करते तो इसका सीधा सा उत्तर है की गीता सुनने के बाद अर्जुन ने कहाँ सन्यास लिया उसने युद्ध किया और राजपाट का भोग भी किया । जब दोनों ओर सेनायें युद्ध के लिए तैयार खड़ी थीं तब भगवान् ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया इस से अधिक क्या emergency हो सकती थी ? अत: आप इस समय emergency मैं हैं और भगवत गीता को आज और अभी से पढ़ना शुरू करें इस से अच्छा मौका कभी नहीं आएगा । मुझे पूर्ण विश्वास है आप भी कोरोना रुपी युद्ध मैं विजयी होंगे और अर्जुन की भांति राजपाट भोगेंगे।
आज कई top class motivator भगवत गीता को आधार बनाकर बड़ी बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी के कर्मचारियों को motivate करते है और लाखों नहीं करोड़ों कमाते हैं जैसे विवेक बिंद्रा, गौर गोपाल दास इत्यादी । महात्मागांधी ने भी कई बार भगवत गीता पढ़ी थी और उसके ऊपर अपनी ओर से टीका भी लिखी थी । तो आइये शुरू करें । यदि आपके पास गीता नहीं है तो मुझे मेसेज करें मैं आपको PDF फॉर्मेट मैं भेज दूंगा ।
हरे कृष्ण
अवधेश पराशर
मोबाइल- 9359502179
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