सामान्यतया भगवान् के भक्त प्रकृतिक आपदाओं को ३ प्रकार के कष्टों मैं गिनती करते हैं
१. आदिदैविक कष्ट
२. आदिभौतिक कष्ट
३. आध्यात्मिक कष्ट
कोरोना ये भौतिक कष्ट के अंतर्गत आता है. सामान्यतया हरिनाम का जाप करने से ये कष्ट या दुःख आम लोगों के नहीं सताते. लेकिन हमारे मन मैं अक्सर ये प्रश्न घुमते रहते हैं कि ये सब कब तक चलेगा ?
आजकल क्योंकि अवकाश चल रहा है तो नियमित से अधिक जप, श्रवण और स्वाध्याय से जो समय बचा तो सोचा चलो ज्योतिष बिज्ञान का भी कुछ अध्ययन कर लिया जाए. इसमें जैसा मेरी समझ मैं आया वो आपकी सेवा मैं प्रस्तुत है-
१. शनि ने मकर राशी मैं प्रवेश किया २४ जनवरी को जो उसका स्वग्रह है लगभग तब से ही कोरोना का प्रभाव दिखना शुरू हुआ और ये बढ़ता जा रहा है.
२. २२ मार्च को मंगल भी उसी स्थान पर शनि के साथ आ गया तो शनि और मंगल कि युति बन गई
क्योंकि ये दोनों ही क्रूर गृह हैं तो तांडव दिखाना शुरू कर दिया. मंगल लगभग ४३ दिनों तक इसी स्थान पर रहेगा.
३. ३० मार्च को गुरु उसी स्थान पर अर्थात मकर राशी मैं प्रवेश करेगा जो दोनों को शांत करेगा
तो हम आशा कर सकते हैं कि ३० मार्च के बाद झुलसती गर्मी मैं जैसे ठंडी हवा का झोंका शरीर को शीतलता प्रदान करता है वैसे ही वृहस्पति आमजन को थोड़ी राहत प्रदान करेंगे और ये ५ मई तक इसी स्थान पर रहेंगे .
४. धीरे धीरे आगे चलकर कुछ समय बाद क्योंकि मंगल भी अपनी राशी बदल देगा तो ग्रहों का प्रकोप समय के साथ कम होता ही रहेगा.
५. हम आशा कर सकते हैं कि ३० मार्च के बाद राहत महसूस होगी और कोरोना का प्रकोप छंट जाएगा.
ईश्वर इस आपत्ति से दुनियां को बचाए।
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